बैतूल:- नायब तहसीलदार पर रिश्वत का आरोप, नक्शा दुरुस्ती में की गई गड़बड़ी का मामला, पीड़ितों ने कलेक्टर, एसपी से की शिकायत

नक्शा दुरुस्ती में की गई गड़बड़ी का मामला, पीड़ितों ने कलेक्टर, एसपी से की शिकायत

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बैतूल:- नक्शा दुरुस्ती की कार्यवाही में अनियमितता, रिश्वत की मांग और न्यायालय के आदेश की अवहेलना जैसे गंभीर आरोपों को लेकर शिकायतकर्ता इन्दु मालवी, आशा भूमरकर, वंदना साहू, मुकेश ठाकुर, कमल पिता स्व नवलकिशोर एवं पुष्पा पति स्व नवलकिशोर द्वारा कलेक्टर जनसुनवाई और एसपी से शिकायत की गई है।


1. आवेदकों ने आरोप लगाया है कि नायब तहसीलदार बैतूल-2, पटवारी हल्का बडोरा सहित अन्य अनावेदकों ने मिलकर नक्शा दुरुस्ती की प्रक्रिया में कूट रचना और भ्रष्टाचार किया है। अनावेदक राजेश ने तहसील कार्यालय में खसरा नंबर 104/98, रकबा 0.084 हेक्टेयर, मौजा बडोरा की भूमि का नक्शा दुरुस्त करवाने आवेदन प्रस्तुत किया था। यह भूमि उसने विक्रय पत्र के आधार पर खरीदी थी, परंतु आवेदन में केवल छायाप्रति संलग्न थी, खसरा किश्तबंदी जैसी जरूरी जानकारी नहीं दी गई थी।
2. इस आवेदन पर सुनवाई करते हुए नायब तहसीलदार ने सभी आवेदकगण को नोटिस जारी किया। आवेदकों ने आपत्ति प्रस्तुत करते हुए दस्तावेज और तर्क रखे, परंतु तहसीलदार ने पटवारी से बिना आपत्तियों को संज्ञान में लिए प्रस्तावित नक्शा बुलवाकर उच्च अधिकारियों को भेज दिया। अपर कलेक्टर बैतूल ने 26 मई 2025 को आदेश दिया था कि धारा 115 (2)(ख) के अंतर्गत गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिया जाए, लेकिन तहसीलदार ने इसे नजरअंदाज कर मनमानी की।
3. सभी पक्षों की सुनवाई 3 जुलाई 2025 को तय की गई थी, जिसमें आवेदकों के अधिवक्ता ने मूल दस्तावेज बुलवाकर प्रतिपरीक्षण की मांग की, लेकिन पटवारी और अनावेदक राजेश दस्तावेज लेकर उपस्थित नहीं हुए। उल्टा तहसीलदार ने आवेदकों से कहा कि 50 हजार रुपये दो, तो नक्शा दुरुस्ती का आवेदन निरस्त कर देंगे। जब आवेदकों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया, तब उन्होंने 3 जुलाई को ही न्यायालय के समक्ष वाद क्र. 0224ए/2025 पेश किया और नक्शा दुरुस्ती की कार्यवाही पर स्थगन की मांग की। इस बीच तहसीलदार ने दिनांक 14 जुलाई 2025 की सुनवाई की तारीख होने के बावजूद, आदेश पत्रिका में कूटरचना कर 7 जुलाई 2025 को ही अनावेदक राजेश के पक्ष में आदेश पारित कर दिया। यह आदेश न तो आवेदकों को प्रतिपरीक्षण का अवसर दिया गया और न ही न्यायालय में प्रस्तुत स्थगन वाद का इंतजार किया गया।

  • दस्तावेज में की कूटरचना:-
    आवेदकों का आरोप है कि नायब तहसीलदार ने न्यायालय की अवमानना की आदेश पत्रिका में दिनांक काटकर फेरबदल कर आदेश जारी किया, जो कि कूटरचना और भ्रष्टाचार का गंभीर मामला है। पटवारी ने फर्जी नक्शा तैयार कर पेश किया, और विक्रय पत्र की सिर्फ छायाप्रति लगाकर फर्जीवाड़ा किया गया। आवेदकों ने मांग की है कि इस मामले में अनावेदकों के विरुद्ध धोखाधड़ी, न्यायालय की अवमानना, कूटरचना, भ्रष्टाचार और मिलीभगत के तहत एफआईआर दर्ज की जाए तथा नायब तहसीलदार को तत्काल निलंबित किया जाए।

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