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पुरानी पेंशन की बहाली के लिए बैतूल में एकजुट हुए सभी कर्मचारी संगठनपेंशन आंदोलन को मिला सभी संघों का समर्थन, प्रमुख नेताओं ने किया नेतृत्व

बैतूल:- पुरानी पेंशन योजना की बहाली को लेकर देश भर में चल रहे चरणबद्ध आंदोलन के तहत बैतूल में शुक्रवार 1 अगस्त को सरकारी कर्मचारी संगठनों ने जबरदस्त एकजुटता दिखाई। जिले के प्रमुख कर्मचारी संगठनों के अध्यक्ष और पदाधिकारियों ने एक मंच से सरकार को स्पष्ट चेतावनी दी कि अगर पुरानी पेंशन बहाल नहीं की गई, तो आगामी चुनावों में इसका जवाब मिलेगा।नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के जिलाध्यक्ष रवि सरनेकर के नेतृत्व में आयोजित इस आंदोलन में विभिन्न कर्मचारी संगठनों के प्रमुख पदाधिकारी शामिल हुए।

1. इस दौरान राज्य कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष सचिन राय, समग्र शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद साहू, कार्यकारी जिला अध्यक्ष राजेंद्र कटारे और नारायण सिंह नगदे, शिक्षक महासंघ बैतूल के जिला अध्यक्ष रमेश बारस्कर, जिला संयोजक भीम धोटे, राज्य शिक्षक संघ बैतूल के जिला अध्यक्ष अतुल पटेल ब्लॉक अध्यक्ष, कालूराम पाटिल ब्लॉक अध्यक्ष, प्रदीप चौधरी, रवि अतुलकर, अशोक बामने, राजकुमार राठौर, सुभाष सिंह ठाकुर, नंदकिशोर इवने, विजय साहू ब्लॉक अध्यक्ष, दिनेश सोनारे ब्लॉक अध्यक्ष, ओमप्रकाश लिलोरे, गणेश अंघोरे, दिनेश हरफोड़े, विवेक तिवारी (ब्लॉक अध्यक्ष शाहपुर), गौरी टिकरिया (महिला ब्लॉक अध्यक्ष आमला), सीमा असवारे (ब्लॉक अध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ घोड़ाडोंगरी) प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

2. वहीं, आंदोलन में सत्येंद्र उइके, संजीव लोखंडे, रामविलास बामने, अमित भावसार, विकास सेवत्कर, रुशी राम नाडेकर, सीमा राठौर, प्रदीप कुमार चौधरी, सुनील पंडाग्रे, रामेश्वर असवारे, मनमोद सनोदिया, वन विभाग से हेमंत जोशी, पीयूष खातरकर, धनराज पाटील, ब्लॉक अध्यक्ष बैतूल ए के नागपुरे, एस आर पवार, प्रेमलाल सूर्यवंशी, ब्लॉक अध्यक्ष प्रभात पट्टन कमला दवंडे,विशाल भोपले, राजू अटनेरे, गंगाराम घुडाले, नवीन वरवड़े, दिलीप कुमार वरवड़े, हेमराज पाटिल, संदीप सोनी, सुरेश बेले, प्रभाकर खातरकर, रामेश्वर अस्वारे, शीला काटोले, सीमा राठौर, वंदना पवार, सरोज माथनकर और अलका ठोके सहित कई अन्य कर्मचारी प्रतिनिधि शामिल हुए।

3. इस दौरान सभी ने एक स्वर में कहा कि पुरानी पेंशन योजना कर्मचारियों का हक है और इसे वापस दिलाने तक आंदोलन चलता रहेगा। चेतावनी दी गई कि यदि सरकार ने इस विषय को गंभीरता से नहीं लिया, तो आगामी विधानसभा चुनावों में कर्मचारी वर्ग निर्णायक भूमिका निभाएगा। कार्यक्रम का संचालन और समन्वय स्थानीय कर्मचारियों द्वारा किया गया, जिसमें समग्र संगठनात्मक शक्ति का प्रदर्शन देखने को मिला। उपस्थित प्रतिनिधियों ने निर्णय लिया कि भविष्य में भी इसी तरह समन्वित रूप से चरणबद्ध आंदोलन जारी रखा जाएगा, जब तक मांगें पूरी नहीं होतीं।

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